रविवार, 24 फ़रवरी 2013

मेगापिक्सेल की माया

जबसे डिजिटल कैमरों का युग आया है मेगापिक्सेल्स को कैमरे की गुणवत्ता का आधार बना कर पेश किया जाता रहा है। एक 3 मेगापिक्सेल कैमरा 2 मेगापिक्सेल से ज्यादा अच्छा इत्यादि। अच्छा कैमरा होने का सीधा मतलब है ज्यादा मिगापिक्सेल होना। हम उपभोक्ताओं के मन में घर कर चुकी यह बात कैमरा निर्माताओं ने भुनाना शुरू किया और आज भी किसी दूसरी ज़रूरी बात पे ध्यान दिए बगैर हमें मेगापिक्सेल का अधिकतम होना ज्यादा भाता है। सन १९९९ के आस पास जब डिजिटल कैमरे सिर्फ १ या १.२  मेगापिक्सेल के होते थे तब एक मेगापिक्सेल का ऊपर नीचे हो जाना काफी मायने रखता था। लेकिन आज जब ५ मेगापिक्सेल या उससे ज्यादा के कैमरे आम हो गए हैं तब इस बात को समझना और आवश्यक हो गया के आखिर इसकी उपरी सीमा क्या है और कैमरा खरीदते वक़्त इस बात का कितना ख़याल रखा जाए?

चलिए थोडा छान-बीन करें पता लगाएं के आखिर ये मेगापिक्सेल की पहेली क्या है?

डिजिटल स्क्रीन असल में महीन चोकौर इकाइयों से बनी होती हैं और इसे ही हम पिक्सेल कहते हैं। यह  डिजिटल चित्र को मापने की इकाई है। पिक्सेल को दूसरे शब्दों में वर्गाकार कलर डॉट्स भी कह सकते हैं जो तस्वीर को रंगीन और प्रभावशाली बनाते है। लगभग एक मिलियन पिक्सेल्स जुड़कर एक मेगापिक्सेल का निर्माण करते है। जब डिजिटल कैमरे से तस्वीर खीची जाती है तो इमेज सेन्सर्स के द्वारा इसे आतंरिक या वाह्य स्टोरेज पे इकठ्ठा किया जाता है। उदाहरण के तौर पर एक ३ मेगापिक्सेल की तस्वीर में लगभग 2,048 x 1,536 पिक्सेल्स होंगे जो साधारण फोटोग्राफी के लिए एक बढ़िया तस्वीर है। जैसे-जैसे मेगापिक्सेल बढेगा वैसे वैसे उपरोक्त गुणात्मक संख्याओं में बढ़ोत्तरी होगी।
मेगापिक्सेल बढाने का मतलब है उनको स्टोर करने में स्टोरेज की जरूरतें भी बढेंगी। कहने का मतलब है जहाँ ४ मेगापिक्सेल के सौ तस्वीरें कैमरे के स्टोरेज में सेव कर पा रहे हैं वहीं ये लगभग आधी हो जायेंगी अगर कैमरा ८ मेगापिक्सेल या उससे ज्यादा का हुआ। अगर तस्वीरें वाकई बेहतर हैं तो बात समझ में आती है  लेकिन अगर आपको यह बताया जाये के मेगापिक्सेल का दुगना हो जाना और कम तस्वीर सेव  हो पाने से आपकी तस्वीरों की गुणवत्ता में कोई ज्यादा सुधार नहीं हुआ है - तब यह बात परेशान करती है। है न? असलीयत यही है, ज्यादा मेगापिक्सेल्स की जरूरत तब पड़ती है जब हम तस्वीरों को ज्यादा से ज्यादा बड़ा प्रिंट कराते हैं जैसा आप पोस्टर्स या बिल बोर्ड्स पर अक्सर देखते है. अगर आपने पोस्टकार्ड साइज़ या A 4 साइज़ या फिर उससे थोड़ी बड़ी भी फोटोग्राफ प्रिंट करनी है या उनको टीवी या कंप्यूटर पे देखना है तो 5 -8 मेगापिक्सेल की तस्वीरें एकदम उपयुक्त रहती हैं। इससे कुछ भी ज्यादा है तो यह सिर्फ एक सुकून देने वाला नंबर भर है जिसे सेल्समैन ने चतुराई से विज्ञापनों का सहारा लेकर आपको थमा दिया है।  इससे आम फोटोग्राफी में कोई फायदा होने से रहां।

कैमरा खरीदने से पहले आवश्यक यह है के आप पहले अपनी जरूरतों की जांच-परख कर लें और फिर ऑप्टिकल लेंस की क्षमता (यहाँ डिजिटल लेंस के चक्कर में न आयें), फोकल लेंग्थ, फ़्लैश टाइप, बैटरी और स्टोरेज क्षमता, इमेज मोड्स इत्यादि के बारे में पहले से जानकारी इकट्ठी कर लें। कैमरे को अपनी शर्तों पे खरीदें, विज्ञापनों के झांसे में न आयें।  

1 टिप्पणी:

विजय कुमार सिंघल 'अंजान' ने कहा…

अच्छी जानकारी दी है। धन्यवाद। ऐसे ही लेख देते रहिये।